नई दिल्ली/हरियाणा (रोजाना भास्कर ब्यूरो): भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने शपथ लेकर एक नई शुरुआत कर दी है। हरियाणा के हिसार जिले के छोटे से गांव पेटवाड़ से निकलकर देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंचने की उनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और अटूट आत्मविश्वास से भरी है।

तपती धूप में खेतों में काम करने वाला, सरकारी स्कूल की फर्श पर बोरी पर बैठकर पढ़ने वाला साधारण-सा किशोर—आज भारतीय न्याय व्यवस्था का सर्वोच्च चेहरा बन गया है।

जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष शपथ ली। समारोह के बाद पूर्व CJI बीआर गवई ने उन्हें गले लगाकर शुभकामनाएँ दीं। वे 9 फरवरी 2027 तक लगभग 15 महीनों तक सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व करेंगे।

साधारण परिवार से खास मुकाम तक
10 फरवरी 1962 को हिसार जिले के गांव पेटवाड़ में जन्मे सूर्यकांत, मदनगोपाल शास्त्री (संस्कृत शिक्षक) और शशि देवी (गृहिणी) के घर पैदा हुए। वे पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। पिता चाहते थे कि वे एलएलएम करें, लेकिन सूर्यकांत ने उन्हें समझाकर एलएलबी के बाद सीधे वकालत शुरू की—जो उनके सफल करियर की नींव बनी।

आज जस्टिस सूर्यकांत का जीवन सफर उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो साधारण परिवेश से निकलकर असाधारण ऊँचाइयों को छूने का सपना देखते हैं।
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