पुलिस ने एक आरोपी को लिया हिरासत में, बाकियों की तलाश जारी
रोजाना भास्कर (जालंधर): एनआरआई महिलाओं से जमीन के नाम पर ठगी के सनसनीखेज मामले में पहले से फरार चल रहे विकास शर्मा उर्फ चीनू और उसके बेटों कार्तिक शर्मा व वंश शर्मा पर एक और गंभीर एफआईआर दर्ज हुई है। इस बार मामला एक ब्रिटिश एनआरआई की करोड़ों की प्रॉपर्टी पर फर्जीवाड़े और कब्जे का है।
पंजाब एनआरआई विंग की उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट के आधार पर जालंधर कमिश्नरेट पुलिस ने दूसरे केस में आईपीसी की धाराएं 420, 465, 467, 468, 471, 448, 511 और 120-बी के तहत मामला दर्ज किया है।
खास बात यह है कि इस गिरोह में परिंदे एकैडमी के संचालक का भाई शैलेन्द्र स्याल, अमृतसर निवासी तरविंदर सिंह समेत कुल पांच लोगों को नामजद किया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, शैलेन्द्र स्याल को हिरासत में ले लिया गया है, जबकि अन्य की तलाश जारी है।
एनआरआई नागरिकों की गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर संपत्तियों पर कब्जा, फर्जी दस्तावेज बनाना, और राजनीतिक पहुंच के बल पर सिस्टम को गुमराह करना, यह पूरा घटनाक्रम सुनियोजित गिरोहबंदी का संकेत देता है।
पुलिस व एनआरआई विंग की सक्रियता के चलते अब इन पर शिकंजा कसता दिखाई दे रहा है। अब देखना यह है कि पुलिस इस ठग गैंग की जड़ तक कब पहुंचती है और कौन-कौन लोग इसमें शामिल निकलते हैं।
पीड़ित एनआरआई की आपबीती
इस बार शिकायतकर्ता हैं यू.के. निवासी परमजीत सिंह तक्खड़, जो मूल रूप से मोता सिंह नगर, जालंधर के रहने वाले हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनका होटल पार्क प्लाजा के पास स्थित 35 मरले का एक कीमती प्लॉट है।
इसी प्लॉट से सटी पांच मरले की जमीन पहले से ही आरोपी विकास शर्मा ने खरीद रखी थी। बाद में उसने परमजीत सिंह से भी सौदा किया, जिसमें 23.5 लाख रुपये प्रति मरला के हिसाब से 50 लाख रुपये एडवांस देकर रजिस्ट्री की तारीख तय कर ली गई।
परमजीत सिंह का आरोप है कि इसके बाद विकास शर्मा ने एक फर्जी सेल एग्रीमेंट तैयार कर लिया, जिसमें प्लॉट का मूल्य घटाकर 13.5 लाख रुपये प्रति मरला दर्शाया गया और कुल 4.15 करोड़ रुपये की नकली रसीदें तैयार की गईं। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विकास ने अदालत में सिविल केस दायर किया और चुपचाप स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया, फिर पीड़ित की गैरमौजूदगी का फायदा उठाकर एक्स-पार्टी डिक्री भी ले ली।
गिरफ्तारी से पहले भूमिगत हुए आरोपी, नेटवर्क का खुलासा
केस की भनक लगते ही आरोपी पिता-पुत्र अपने मोबाइल फोन बंद करके फरार हो गए। पुलिस को शक है कि ये किसी ट्रैवल एजेंट या बैंक संचालक के जरिए बाहर भागने की योजना बना रहे हैं। कुछ पुलिस अधिकारियों के निजी स्थानों की लोकेशन और नंबरों की भी जांच की जा रही है जिनके संपर्क में आरोपी रह चुके हैं।
पहले केस की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले इसी गिरोह के खिलाफ अमेरिकी नागरिक इंद्रजीत कौर की शिकायत पर पहली एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 1.25 करोड़ रुपये एडवांस लेकर जमीन का सौदा किया गया, लेकिन बाद में 2 करोड़ रुपये की फर्जी रसीद बनाकर उनके खिलाफ कोर्ट में केस कर दिया गया।
दोनों मामलों में पैटर्न एक जैसा है, पहले सौदा करना, फिर फर्जी दस्तावेज बनाना, कोर्ट में केस दाखिल कर स्टे ऑर्डर और डिक्री हासिल करना, और पीड़ित को भ्रमित रखना।
क्या वाकई हैं आरोपी विकास शर्मा की रसूखदारी और राजनीतिक कनेक्शन
आरोपी विकास शर्मा जो खुद को कथित तौर पर पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया का करीबी होने का दावा करता रहा है। और इसी कनैक्शन की धौंस देकर स्थानीय पुलिस से कई जायज-नाजायज काम करवाता रहा है। इतना ही नहीं कई राजनीतिक नेताओं से उसके पुराने संबंधों की भी चर्चा है।
पीड़ितों का आरोप है कि कई वरिष्ठ अफसरों ने खुलकर आरोपी पक्ष का पक्ष लिया था, जिसकी वजह से केस दर्ज करवाने में उन्हें भारी मशक्कत करनी पड़ी। मगर सरकार द्वारा अपनाए जा रहे कड़े रूख को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी दोषियों के खिलाफ कारवाई करना ही मुनासिब समझा।
अब अगला कदम क्या ?
जांच एजेंसियां अब इन मामलों को आर्थिक अपराध की बड़ी श्रृंखला के रूप में देख रही हैं। पुलिस ने दावा किया है कि आरोपी रेडार पर हैं और जल्द ही गिरफ्त में होंगे। यह भी संभावना जताई जा रही है कि इनके खिलाफ और भी शिकायतें सामने आ सकती हैं, क्योंकि अब पीड़ित खुलकर सामने आने लगे हैं।