यह फैसला ऐसे मामलों के लिए मिसाल, जहां आपसी सहमति के बाद भी कानूनी प्रक्रिया का किया जा रहा दुरुपयोग
रोजाना भास्कर (अमृतसर/चंडीगढ़): पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने तलाक के 7 महीने बाद दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब पति-पत्नी के बीच विवाद सुलझ चुका था, तो एफआईआर दर्ज करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
2015 में शादी, 2019 में तलाक
इस केस में पति-पत्नी की शादी 22 दिसंबर 2015 को हुई थी। अगस्त 2019 में दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया। तलाक के दौरान गहनों, संपत्ति और वित्तीय मामलों को लेकर लिखित समझौता भी हुआ था।
फिर 2020 में दर्ज करवाई गई एफआईआर
तलाक के करीब सात महीने बाद, 14 फरवरी 2020 को महिला के पिता ने भारत में एफआईआर दर्ज करवाई। इसमें दहेज और स्त्रीधन वापसी के आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट ने माना – मामला खत्म हो चुका था
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा कि सभी पक्ष अमेरिका में रहते हैं और वहीं समझौता हुआ था। एफआईआर में न तो तलाक का जिक्र था, न समझौते का। ऐसे में यह केस कानूनी हथियार का गलत इस्तेमाल है।
निष्कर्ष: एफआईआर रद्द
कोर्ट ने माना कि पति के खिलाफ अब कोई आपराधिक कार्यवाही जरूरी नहीं है और एफआईआर को रद्द कर दिया गया। यह फैसला ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल है, जहां आपसी सहमति के बाद भी कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जाता है।