पंजाब कांग्रेस में भारी उथल-पुथल: परगट सिंह और किक्की ढिल्लों का इस्तीफा, लुधियाना हार पर फूटा असंतोष

रोजाना भास्कर (जालंधर/चंडीगढ़)। पंजाब कांग्रेस में आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। जालंधर कैंट से विधायक और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान परगट सिंह ने कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई में मीत प्रधान (उपाध्यक्ष) पद से इस्तीफा दे दिया है।

उनके साथ पूर्व विधायक कुशलदीप सिंह ‘किक्की’ ढिल्लों ने भी पार्टी में अपने उप प्रधान पद से इस्तीफा भेज दिया है।

दोनों नेताओं ने अपने इस्तीफे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल और पंजाब प्रभारी भूपेश बघेल को मेल के जरिए भेजे। बताया जा रहा है कि यह कदम उन्होंने लुधियाना उपचुनाव में पार्टी की शर्मनाक हार और भारत भूषण आशु के पक्ष में उठाया है।

🔹 लुधियाना चुनाव में हार बना असंतोष की वजह

कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण आशु ने चुनाव हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पार्टी में अंदरखाने की नाराजगी सतह पर आ गई। आशु ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वडिंग और सिमरजीत सिंह बैंस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए थे।

सूत्रों का कहना है कि परगट सिंह और किक्की ढिल्लों, दोनों ने आशु के आत्मग्लानि भरे कदम को सराहते हुए समर्थन दिया और आलाकमान को स्पष्ट संदेश दिया कि संगठन में फैसले और ज़िम्मेदारियों को लेकर पारदर्शिता होनी चाहिए।

🔹 कांग्रेस में आपसी संघर्ष और गुटबाजी

2022 विधानसभा चुनाव के बाद यह पहली बार है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस तरह खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं। इससे पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी और नेतृत्व को लेकर गहराता असंतोष उजागर हो गया है।

वर्तमान में किक्की ढिल्लों ऑस्ट्रेलिया में हैं जबकि परगट सिंह जालंधर में ही डटे हुए हैं और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं।

🔹 आगे क्या?

इस घटनाक्रम ने पंजाब कांग्रेस की राजनीतिक दिशा पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पार्टी आलाकमान इन इस्तीफों को स्वीकार करेगा? और क्या नेतृत्व परिवर्तन की मांग ज़ोर पकड़ेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में पंजाब की सियासत को और गर्मा सकते हैं।

यह सिर्फ दो नेताओं का इस्तीफा नहीं, कांग्रेस में एक बड़े बदलाव की दस्तक हो सकती है।