सीएम भगवंत मान ने कार्रवाई को लेकर दी हरी झंडी
चंडीगढ़ (रोजाना भास्कर): पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य सरकार के दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस की कार्रवाई के लिए हरी झंडी दे दी है। दरअसल इन दोनों आईएएस अधिकारियों ने गांव के कच्चे रास्तों को एक प्राइवेट बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर दे डाला। गैर कानूनी तरीके से प्राइवेट बिल्डर को बेची गई गांव के रास्तों की जमीन के मामले में अब सीएम से मंजूरी मिलने के बाद विजिलेंस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने इस मामले में विभागीय कार्रवाई कर रिपोर्ट विजिलेंस को सौंप दी है।
पंजाब सरकार ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दिलराज सिंह संधवालिया और परमजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए रिपोर्ट भेज दी गई है। इन दोनों आईएएस अधिकारियों पर न्यू चंडीगढ़ गांव के रास्तों (पथवेज) की अवैध बिक्री में निजी बिल्डर की मदद करने का आरोप है। इन रास्तों को बिना डायरेक्टर, कंसोलिडेशन और डायरेक्टर, लैंड रिकॉर्ड्स द्वारा परित्यक्त घोषित किए गए नवंबर 2024 में बिल्डर को बेचने की मंजूरी दी गई थी, जो कि कानूनी रूप से संभव नहीं था। संधवालिया ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के सचिव हैं, जबकि परमजीत सिंह इस विभाग के निदेशक हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले हफ्ते जांच को मंजूरी दी थी।
सूत्रों के अनुसार पंजाब के मुख्य सचिव केएपी सिन्हा द्वारा जांच लगभग पूरी हो चुकी है और आरोपपत्र जल्द ही दोनों अधिकारियों को जारी किया जाएगा। इसके अलावा, विजिलेंस ब्यूरो मामले की जांच करेगा। यह जांच इस बात की भी पड़ताल करेगी कि 2018 में किसने पहले भूमि बिक्री की अनुमति दी थी। बाद में कोर्ट ने बिक्री पर रोक लगाई थी और मामला निपटने के बाद इन दोनों अधिकारियों ने 2018 में तय कीमत से अधिक कीमत पर बिक्री की मंजूरी दी। इस मामले में आरोप हैं कि कुछ उच्च पदस्थ व्यक्तियों को इस बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए न्यू चंडीगढ़ में निर्मित संपत्तियां दी गईं।
जानकारी के अनुसार एक निजी बिल्डर ने सैनी मजरा गांव के आसपास की कृषि भूमि को खरीदा था, जो अब न्यू चंडीगढ़ का हिस्सा है और ग्रेटर मोहाली एरिया डेवलेपमेंट ऑथोरिटी द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस भूमि के एकजुट टुकड़े को हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए तैयार करने के लिए उन रास्तों को अवरुद्ध कर दिया गया था, जो पहले ग्रामीणों द्वारा उपयोग किए जाते थे।
2017 में कुछ ग्रामीणों ने खरड़ कोर्ट में मामला दायर किया और अंतरिम सुरक्षा प्राप्त की थी। बाद में कुछ ग्रामीणों ने बिल्डर को प्रति एकड़ 2 करोड़ रुपये में भूमि बेचने पर सहमति जताई, लेकिन कुछ ग्राम समुदाय के शेयरधारकों ने बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट तक पहुंचा, जिसने 2021 में आदेश दिया कि केवल तब रास्ते बेचे जा सकते हैं जब उन्हें परित्यक्त घोषित किया जाए। इसके बावजूद, 2024 में भूमि को बिल्डर को बेच दिया गया।