‘विधायक नहीं, भ्रष्टाचार का किंगपिन!’  रमन अरोड़ा केस में बड़ा खुलासा, कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लेगी विजिलेंस… राजदारों के सामने बैठाकर होगी पूछताछ 

 जालंधर (रोजाना भास्कर)। आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक रमन अरोड़ा की गिरफ्तारी के साथ ही जालंधर में सत्ता और पैसे की मिलीभगत का पर्दाफाश हो गया है। विजिलेंस विभाग की कार्रवाई में खुलासा हुआ है कि विधायक ने सिस्टम में अपनी पकड़ बनाकर ‘रेवेन्यू मशीन’ जैसा भ्रष्टाचार तंत्र खड़ा किया था।

पोस्टिंग से लेकर निर्माण तक – हर चीज की थी ‘रेट लिस्ट’

विधायक और नगर निकाय विभाग के ATP सुखदेव वशिष्ठ ने मिलकर ऐसा सिस्टम खड़ा किया था जिसमें पोस्टिंग, निर्माण अनुमति और नोटिसों की फाइलों के निपटारे के लिए रेट तय थे। ATP पहले इमारतों को नोटिस देता, फिर मालिकों को विधायक से मिलवाता। रिश्वत मिलने के बाद फाइलें ठंडे बस्ते में चली जाती थीं।

जायदाद का जाल: फैक्ट्री, इमारतें और मार्केट तक खरीदी

विधायक अरोड़ा ने भ्रष्ट कमाई से जालंधर वेस्ट में एक फैक्ट्री, नाज सिनेमा के पास एक कमर्शियल इमारत, फुटबॉल चौक के पास ज़मीन और पीर बोदला में एक पूरी मार्केट खरीद डाली। इसके अलावा लम्मा पिंड क्षेत्र में एक बड़ी इमारत के निर्माण की भी तैयारी थी। विजिलेंस ने इन सभी संपत्तियों से जुड़े तीन सूटकेस दस्तावेज जब्त किए हैं।

काले धन का सफर: बुकी से दुबई तक… ऐसे चलता था कारोबार

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अरोड़ा का एक नजदीकी बुकी अवैध धन को प्रॉपर्टी में लगाने की रणनीति बनाता था। यही बुकी दुबई में एक नेटवर्क ऑपरेट करता है, जहां से काले धन को घुमाने की पूरी प्रक्रिया चलाई जाती थी। विधायक खुद इस नेटवर्क में नियमित ‘हाजिरी’ लगाते थे।

पीए बने राजदार, कबूलनामे से हिला सिस्टम

विधायक के निजी सहायक (PA) रोहित कपूर, नगर निगम संपर्क वाला PA हनी भाटिया, और कारोबारी महेश मखीजा से विजिलेंस ने रातभर पूछताछ की। पूछताछ में कई खुलासे हुए, जिनमें बताया गया कि पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग से लेकर थाने की सेटिंग तक सब कुछ विधायक के ऑफिस से नियंत्रित होता था।

फॉरेंसिक जांच में मिल सकते हैं और राज

विधायक और उनके सहायकों के जब्त मोबाइल फोनों की फॉरेंसिक जांच शुरू हो गई है। विजिलेंस का मानना है कि डिलीट किए गए मैसेज, चैट्स और कॉल रिकॉर्ड से कई और गहरे राज सामने आ सकते हैं।

ATP सुखदेव ने खोला कच्चा चिट्ठा

ATP सुखदेव वशिष्ठ ने स्वीकार किया कि वह विधायक के निर्देश पर निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स को टारगेट करता था और फर्जी नोटिस भेजकर पैसे ऐंठता था। बिना रजिस्टर में दर्ज किए गए ऐसे 75 से अधिक नोटिस बरामद किए गए हैं, जिससे साफ है कि भ्रष्टाचार एक सुनियोजित ढांचे में हो रहा था।

सरकारी कार्रवाई शुरू, विधायक की सुरक्षा भी हटी

सरकार ने विधायक पर शिकंजा कसते हुए 13 मई को उनकी सुरक्षा वापस ले ली और उनकी सिफारिश पर तैनात पुलिस अधिकारियों को भी हटा दिया गया। इसका उद्देश्य अरोड़ा को ‘पावरलेस’ करना था, ताकि जांच में बाधा न आए।

क्या है अगला कदम?

विधायक रमन अरोड़ा को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा और रिमांड की मांग की जाएगी। विजिलेंस को उम्मीद है कि पूछताछ में और भी राजदारों और संपत्तियों के बारे में पता चलेगा।