समय पर कार्रवाई बेहद महत्वपूर्णः फोर्टिस जालंधर ने स्ट्रोक का समय पर पता लगाने पर ज़ोर देते हुए विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया

फोर्टिस जालंधर में मौजूद न्यूरो इंटरवेंशन स्ट्रोक रेडी सेंटर, फोर्टिस एक्सपर्ट्स द्वारा संचालित जालंधर का पहला व्यापक स्ट्रोक मैनेजमेंट सेंटर है

जालंधर, रोजाना भास्कर (हरीश शर्मा): विश्व स्ट्रोक दिवस के मौके पर, फोर्टिस हॉस्पिटल जालंधर के न्यूरो इंटरवेंशन स्ट्रोक रेडी सेंटर ने आज एक विशेष जागरूकता सेशन का आयोजन किया, जिसमें स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचानने और तुरंत मेडिकल मदद लेने के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इस सेशन में प्रतिभागियों को स्ट्रोक के उपचार के “सुनहरे समय” के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जब समय पर मेडिकल मदद दिव्यांगता को काफी कम कर सकता है और स्वास्थ्य लाभ के परिणामों में सुधार कर सकता है।

 इसी अनुमान के अनुसार, भारत में प्रति एक लाख लोगों पर लगभग 105 से 152 व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (2023) और विश्व स्ट्रोक संगठन के अनुसार, स्ट्रोक, इस्केमिक हृदय रोग के बाद दुनिया में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण बना हुआ है।

स्ट्रोक केयर में समय पर मेडिकल मदद के महत्व पर ज़ोर देते हुए, फोर्टिस हॉस्पिटल, जालंधर के न्यूरोसाइंस विभाग के इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. त्रिमान सिंह ने कहा कि “ऐसे हालात में हर मिनट मायने रखता है। स्ट्रोक के बाद साढ़े चार घंटे के भीतर मेडिकल केयर मिलना स्थायी क्षति को रोकने और रिकवरी को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है। फोर्टिस जालंधर में, 24×7 न्यूरो इंटरवेंशन स्ट्रोक रेडी सेंटर इमरजेंसी रिस्पांस, एडवांस्ड् न्यूरोइमेजिंग, थ्रोम्बोलिसिस क्लॉट रिट्रीवल और व्यक्तिगत पुनर्वास सहित इंस्टेंट, कोऑर्डिनेटेड केयर प्रदान करता है। जालंधर की पहली एडवांस्ड स्ट्रोक केयर सुविधा के रूप में, फोर्टिस न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट और रीहैबलीटेशन एक्सपर्ट्स की इंटीग्रेटेड विशेषज्ञता के माध्यम से सटीक निदान से लेकर प्रभावी उपचार और रिकवरी तक व्यापक स्ट्रोक मैनेजमेंट प्रदान करने में पूरे रीजन का नेतृत्व करता है।”

फोर्टिस जालंधर में मरीज-केंद्रित न्यूरोलॉजिकल केयर के बारे में बात करते हुए, डॉ. संदीप कुमार कुंडल और डॉ. तुषार अरोड़ा, कंसल्टेंट न्यूरोसर्जरी ने कहा कि “हैमोरेजिक स्ट्रोक यानि रक्तस्रावी आघात के मामलों में, हमारी न्यूरोसर्जरी टीम तत्काल सर्जिकल इंटरवेंशन प्रदान करने के लिए 24×7 उपलब्ध है। रोगी की स्थिति के आधार पर, इंट्राक्रैनील दबाव को कम करने और आगे की न्यूरोलॉजिकल क्षति को रोकने के लिए डिकम्प्रेसन क्रैनियोटॉमी या वेंट्रिकुलोपेरिटोनियल (वीपी) शंट प्लेसमेंट जैसे प्रोसीजर्स किए जाते हैं।”

सेशन के दौरान, डॉ. अनमोल सिंह राय ने 18 से 45 वर्ष की आयु के युवाओं में स्ट्रोक के मामलों में खतरनाक वृद्धि को लेकर कहा कि इनको पारंपरिक रूप से कम जोखिम वाला समूह माना जाता है। ‘यंग ऑनसेट स्ट्रोक’ के रूप में जाना जाने वाला यह चलन अब आउटपेशेंट विभागों में देखे जाने वाले हर दस स्ट्रोक मामलों में से दो से तीन में दिखता है।

डॉ. अनमोल सिंह राय, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट् “भारत भर में, युवा बालिगों में स्ट्रोक के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है, जो गलत खानपान एवं अन्म आदतों, शिथिल जीवनशैली और अपर्याप्त प्रिवेंटिव केयर के कारण है। यह केवल एक स्वास्थ्य संबंधी चिंता ही नहीं, बल्कि एक उभरता हुआ राष्ट्रीय संकट भी है, क्योंकि युवा व्यक्तियों में स्ट्रोक अक्सर लॉनाटर्म दिव्यांगता का कारण बनता है जिसका प्रभाव पूरे परिवार और समुदाय पर पड़ता है। प्रमुख जोखिम कारकों में शारीरिक निष्क्रियता, हायपरटेंशन, डायबिटीज, अत्मधिक धूम्रपान और मादक द्रव्यों या शराब का सेवन शामिल हैं।

स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की रक्त आपूर्ति बाधित हो जाती है, जो आमतौर पर धमनियों में रुकावट के कारण होती है, जिससे मस्तिष्क को आवश्यक ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते। सत्र के दौरान, डॉ. राय ने बी.ई.एफ.ए.एस.टी. B.E.F.A.S.T के महत्व पर भी ज़ोर दिया, जो स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति में संकेतों और लक्षणों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक संक्षि‌ नाम है।
B= संतुलन (संतुलन या कोऑर्डिनेशन की हानि)

E= आंखें (दृष्टि में परिवर्तन)

F= चेहरा झुकना (मुंह के कोण का एक तरफ मुड़ना)

A = बांहों में कमज़ोरी (शरीर के एक तरफ /भाग की कमज़ोरी)

S= बोलने में कठिनाई (बोलने में लड़खड़ाना)

T = तुरंत अस्पताल जाने का समय (स्ट्रोक के इलाज की शुरुआत के लिए समय बहुत कीमती है)

डॉक्टरों ने सक्रिय रोकथाम के महत्व पर ज़ोर देते हुए सत्र का समापन किया। जीवनशैली में बदलाव जैसे दवाइयों का सेवन, नियमित स्वास्थ्य जांच, शारीरिक गतिविधि और हृदय-स्वस्थ आहार का पालन स्ट्रोक के जोखिम को काफ़ी कम कर सकता है। ज़्यादा जागरूकता, लक्षणों के प्रति सतर्कता और समय पर प्रतिक्रिया स्ट्रोक के समग्र बोझ को कम करने और स्वास्थ्य लाभ के परिणामों में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

डॉ. अंकुश मेहता, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पिटल, जालंधर ने स्ट्रोक के रोगियों के लिए समय पर उपचार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक विशेष पहल की घोषणा की। आम जनता के लाभ के लिए और रोगियों को बिना किसी देरी के फोर्टिस अस्पताल जालंधर के एडवांस स्ट्रोक रेडी सेंटर तक पहुंचने में मदद करने के लिए, अस्पताल स्ट्रोक की सभी आपात स्थितियों के लिए 30 किलोमीटर के दायरे में फ्री एम्बुलेंस सेवा प्रदान करेगा।

इस सेवा का लाभ उठाने के लिए, रोगी या उनके परिजन डेडीकेटेड मेडिकल इमरजेंसी हेल्पलाइन: 81451 81451 पर कॉल कर सकते हैं। डॉ. मेहता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्ट्रोक के मामलों में जीवन बचाने और दिव्यांगता को कम करने में इंस्टेंट रिस्पांस और तत्‌काल मेडिकल केयर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

फोर्टिस हेल्थकेयरः परिचय

फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड भारत में एक प्रमुख इंटीग्रेटेड हेल्थकेयर प्रदाता है। कंपनी के हेल्थकेयर से जुड़े अलग अलग क्षेत्रों में मुख्य रूप से अस्पताल, डायग्मोस्टिक्स और डे केयर स्पेशलिटी सुविधाएं शामिल हैं। वर्तमान में, कंपनी 11 राज्यों में 33 हेल्थकेयर सुविधाओं (संयुक्त उद्यम और संचालन एवं रखरखाव सुविधाओं सहित) संचालित करती है। कंपनी के नेटवर्क में 5,700 से अधिक ऑपरेशनल बेड्स (ओएंडएम बेड्स सहित) और 400 डायग्मोस्टिक्स लैब शामिल हैं।