रोजाना भास्कर (जालंधर): दौलतपुरी जुआ लूटकांड का वांटेड दविंदर उर्फ डीसी पुलिस रिकॉर्ड में फरार है, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट सामने आई। दशहरे के दिन आदमपुर में आयोजित कार्यक्रम में वही दविंदर कमेटी का प्रधान बनकर पूरे आयोजन की कमान संभाले रहा।
मंच पर आप नेता पवन टीनू और डीएसपी कुलवंत सिंह समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। सम्मान समारोह में बांटे गए चिन्हों पर बाकायदा डीसी का नाम और फोटो दर्ज थी।
यह वही डीसी है, जिस पर दौलतपुरी जुआ लूटकांड में नामजद होने के बाद पुलिस ने कई बार रेड करने का दावा किया, लेकिन वह हर बार गिरफ्तारी से बच निकला। अब सवाल उठ रहा है कि जब जनता के बीच खुलेआम वांटेड शख्स मौजूद था, तो पुलिस क्यों आंख मूंदे रही?
दरअसल, दविंदर कोई नया नाम नहीं। सात साल पहले भी वह जुए के अड्डे पर गोलीकांड में पकड़ा गया था। इस बार भी जुए के अड्डे पर छापे के दौरान नामजद हुआ, लेकिन नेताओं और पुलिस की छांव में उसका दबदबा और बढ़ता दिख रहा है।
पुलिस का रटा-रटाया जवाब है कि छापा मारा गया, लेकिन डीसी नहीं मिला। जबकि दूसरी ओर वही डीसी बड़े आराम से पुलिस अधिकारियों को सम्मानित करता दिखा।
डीएसपी कुलवंत सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि उन्हें पता ही नहीं था कि दविंदर वांटेड है। कमिश्नरेट पुलिस से कोई सूचना नहीं मिली। सवाल ये है कि अगर जनता और मीडिया डीसी की मौजूदगी देख रही थी, तो पुलिस क्यों नहीं?
👉 यह वाकया साफ करता है कि खाकी और खादी का गठजोड़ ही वांटेड अपराधियों की सबसे बड़ी ढाल है।