90 करोड़ का फर्जी कारोबार कर सरकार को 14 करोड़ की चपत: जालंधर की चार फर्मों पर जीएसटी विभाग की शिकंजा कसने की तैयारी

रोजाना भास्कर (जालंधर): सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाने वाले फर्जी कारोबार का बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि जालंधर की चार फर्मों ने बिना कोई वास्तविक कारोबार किए 90 करोड़ रुपए के फर्जी बिल काटे और 14 करोड़ रुपए का जीएसटी रिफंड हड़प लिया। इस घोटाले का पर्दाफाश होते ही जीएसटी विभाग हरकत में आ गया है और कई जिलों के कारोबारियों पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

फर्जीवाड़े में शामिल फर्मों के नाम हैं — बीएमएस इंटरप्राइजेज, जेएस इंटरप्राइजेज, शिव शक्ति ट्रेडिंग और कुमार ट्रेडर्स। इन फर्मों ने श्रमिकों और गैर-व्यापारिक लोगों के पहचान पत्रों के आधार पर फर्जी कंपनियां बनाईं और पिछले एक साल से कबाड़ कारोबार के नाम पर टैक्स चोरी का खेल खेला।

जीएसटी रिफंड का नियम कहता है कि जब किसी उत्पाद के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर जीएसटी ज्यादा और तैयार माल पर कम हो, तो सरकार उस अंतर की राशि रिफंड के रूप में देती है।

इसी नियम का दुरुपयोग कर इन फर्मों ने कबाड़ की खरीद-फरोख्त का झूठा रिकॉर्ड तैयार किया। लोहे और अन्य धातुओं के कबाड़ पर 18% जीएसटी लागू है, और इसी दर के अंतर से इन फर्मों ने करोड़ों रुपए का फायदा उठाया।

इस घोटाले की परतें खुलने के बाद विभाग ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जबकि बाकी फर्मों और उनसे जुड़े कारोबारियों की जांच जारी है।

टैक्सेशन अधिकारियों के सामने अब बड़ी चुनौती यह है कि कबाड़ की वास्तविक मात्रा और उसके स्रोत का कोई ठोस रिकॉर्ड मौजूद नहीं होता, जिससे जांच जटिल बन जाती है।

आगे की कार्रवाई

1️⃣ जालंधर, लुधियाना और अन्य राज्यों की वे फर्में जांच के दायरे में आएंगी, जिन्होंने इन बोगस बिलरों से लेन-देन दिखाया है।

2️⃣ टैक्स चोरी में शामिल पाए जाने वालों के जीएसटी रिफंड रोके जाएंगे और भारी पैनल्टी लगाई जाएगी।

3️⃣ विभाग पहले नोटिस जारी करेगा और उसके बाद फर्जी फर्मों के साथ लेन-देन करने वालों पर भी कार्रवाई होगी।

एसटीओ हर्षदीप सिंह ने बताया, “फर्जी कारोबार से सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा है। विभाग दोषियों की पहचान कर रहा है और जल्द ही सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”