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मूर्तियों के मामले में मायावती का सुप्रीम कोर्ट में जवाब- दलित नेताओं की मूर्तियों पर ही सवाल क्यों?

नई दिल्ली. ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल करते हुए यूपी के शहरों में उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियों की स्थापना को सही ठहराया और कहा कि मूर्तियां लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती हैं। मायावती ने अपने जवाब में कहा है कि पैसा शिक्षा के साथ अस्पताल या फिर मूर्तियों पर खर्च हो, यह कोर्ट तय नहीं कर सकता है।

हलफनामे में बसपा नेता ने कहा कि दलित नेताओं की मूर्तियों पर ही सवाल क्यों। भाजपा और कांग्रेस ने भी जनता के पैसे का इस्तेमाल किया है। उनके सरकारी धन के इस्तेमाल पर सवाल क्यों नहीं हो रहा है? मायावती ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार पटेल, शिवाजी, एनटी राम राव और जयललिता आदि की मूर्तियों का भी हवाला दिया।


उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि पहली नजर में उसका विचार है कि बसपा सुप्रीमो मायावती को प्रतिमाओं पर लगाया जनता का पैसा लौटाना चाहिए। लखनऊ और नोएडा में मायावती और उनकी पार्टी के चिह्न हाथी की प्रतिमाएं बनवाई गई थीं। एक वकील ने इन मूर्तियों के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई कि नेताओं द्वारा अपनी और पार्टी के चिह्न की प्रतिमाएं बनाने पर जनता का पैसा खर्च न करने के निर्देश दिए जाएं।

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