धर्म

श्री गुरु रविदास ऐतिहासिक स्थान तुगलकाबाद दिल्ली को खाली नहीं होने देंगे- संत सतविंदर हीरा|संत सुरिंदर दास जी की तरफ से श्री चरण छोह गंगा सच्चखंड श्री खुरालगढ़ साहिब में समूह संत महापुरुषों के नेतृत्व में की गई विशेष बैठक

जालंधर रोजाना भास्कर.(हरीश शर्मा)श्री गुरु रविदास ऐतिहासिक धर्म स्थान श्री चरण छोह गंगा (अमृत-कुंड) सच्चखंड श्री खुरालगढ़ साहिब (पंजाब) और आल इंडिया आदि धर्म मिशन (रजि.) भारत की की तरफ से मीटिंग करके विनती की गई है कि भारत के समूह अनुसूचित जाति एम. पी. एवं एम. एल. ए. जो तुगलकाबाद (दिल्ली) में श्री गुरु रविदास ऐतिहासिक धर्म स्थान है आज से छह सौ साल पूर्व ततकालीन बादशाह सिकंदर लोधी ने सतगुरु रविदास जी महाराज को सात सौ कनाल जमीन दी थी, जो आज तक रिकार्ड में चलता आ रहा था पीछे इस जमीन को हड़पने के लिए मौजूदा सरकार सरकार की तरफ से जो कार्यवाही की जा रही है उसकी आल इंडिया आदि धर्म मिशन की तरफ से कड़े शब्दों में निंदा की जाती है और सरकार को चेतावनी दी जाती है कि यदि सतगुरु रविदास महाराज जी के इस स्थान पर कोई कार्यवाही होती है तो इसके निष्कर्ष जो निकलेंगे उस की सरकार खुद जिम्मेवार होगी।

उन्होंने कहा कि मनूवादी सरकारें, शासन प्रशास मिल कर गुरु रविदास जी के सेवकों के साथ बेइन्साफी कर रही है। गुरु रविदास सेवकों से विनती है कि वह सभी अपने अपने सांसदों को विनती करें कि इस स्थान को खाली न किया जाये। यदि उन्हों ने हमारा सहयोग नहीं दिया तो इसका गंभीर नतीजा निकल सकता है। संत सतविंदर हीरा ने कहा कि आल इंडिया आदि धर्म मिशन माननीय सुप्रीम कोर्ट को यह विनती करता है कि श्री गुरु रविदास धर्म स्थान को खाली करवाने का जो फैसला लिया गया है उस पर दोबारा विचार की जाये क्योंकि इस ऐतिहासिक धर्म स्थान के साथ पूरे विश्व भर की संगत की भावनाएँ जुड़ी हुई हैं। आल इंडिया आदि धर्म मिशन की तरफ से पहले भी इस केस संबंधी करवाई जारी है और अब फिर विनती की जाती है कि इस फैसले पर फिर विचार की जाये। इस मौके उनके साथ श्री गुरु रविदास ऐतिहासिक धर्म स्थान श्री चरण छोह गंगा (अमृत-कुंड) सच्चखंड श्री खुरालगढ़ साहिब के अध्यक्ष संत सुरिंदर दास, संत सरवण दास सीनी. उपाध्यक्ष श्री गुरु रविदास साधू सम्प्रदाय सोसायटी रजि. पंजाब, इंचराज संत जगविंदर लांबा, मुख्य प्रचारक संत जोगिन्द्र पाल जौहरी, राष्ट्रीय कोषाध्यभ श्री अमित कुमार पाल, श्री बलवीर महे, संत नरंजन दास, संत कर्म चंद, संत गिरधारी लाल और भाई प्रगट सिंह भी उपस्थित थे।

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