दिल्ली का माहौल व कांग्रेस की इनसाइड स्टोरी… जालंधर की कांग्रेस की टिकट भी फंसी, दिल्ली में पहुंचे नेतागण..
जालंधर (हरीश शर्मा). लोकसभा चुनाव बिलकुल निकट आ गए हैं और तीन अप्रैल को कांग्रेस हाईकमान कांग्रेस की टिकट की घोषणा करने जा रही है, ऐसे में कांग्रेसी उम्मीदवारों की दिल की धड़कने तेज हो गयी हैं। कांग्रेस की टिकट के चाहवान दिल्ली कूच कर गये हैं क्योंकि जो वीरवार को मीटिंग कैप्टन अमरिंदर की हुई है, उसमें पूरा ब्यौरा तैयार कर दिल्ली दरबार राहुल के पास भेज दिया गया है। जालंधर में कांग्रेस की टिकट के तीन बड़े दावेदार हैं, एक दावेदार सुशील रिंकू हैं तो दूसरे दावेदार पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी व जालंधर से मौजूदा लोकसभा सदस्य चौधरी संतोख है।
केपी के नाम से सहमत नहीं कैप्टन की टीम
स्थानीय लोकल कांग्रेसियों का एक ग्रुप चाहता है कि टिकट केपी को दी जाए लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह की टीम उसके नाम से सहमत नहीं है। केपी में खासयित यह है कि जल्दी में किसी की हाजिरी भरने के लिए नहीं जाते। कैप्टन के साथ उनकी मीटिंग जरूर हो गयी है और कैप्टन ने कहा है कि केपी दिल्ली में बात करो, मेरे को कोई एतराज नहीं है। केपी अपनी टीम के साथ दिल्ली निकल गए हैं। आजकल वह गया बिहार में माथा टेकने पहुंचे हुए हैं और निश्चित तौर पर रात को वह दिल्ली पहुंच जाएंगे।
कांग्रेसी नेताओं को सांसद चौधरी को बेटे से दिक्कत
चौधरी संतोख सिंह ने अपनी गोटियां पहले ही फिट की हुई है, उन्होंने अपने निवास पर वहां पर पार्टी आयोजन कर कई नेताओं को अपने साथ दोबारा जोड़ लिया है लेकिन दिक्कत यह है कि उनको जालंधर के कांग्रेसी नेता पचा नहीं रहे हैं। उनहोंने होली के दिन अपनी कोठी पर अच्छा फंक्शन किया लेकिन होली के रंग से दिल की खटास दूर नहीं हुई है। कांग्रेसी नेताओं को चौधरी संतोख सिंह से कम उनके बेटे के गरूर से अधिक दिक्कत है। उनके बेटे के गरूर के चर्चे तो चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली में है और इसी गरूर के कारण वह फिल्लौर की विधानसभा सीट एक युवा अकाली दल के नेता से हार गए। अभी भी कमान उनके बेटे के हाथ है, जो कांग्रेसियों को पसंद नहीं है।
रिंकू के लिए दिल्ली में लगाया जा रहा जोर
तीसरी बात सुशील रिंकू की है, रिंकू के लिए परेशानी है कि वह एक दम से उभर रहे नेता हैं और लंबे समय से दलित राजनीति पर अपनी पैठ रखने वाले उनको आगे बढ़ने नहीं दे रहे हैं। रिंकू राणा गुरजीत सिंह के खेमे से है और वह उनके खेमे के साथ हरदम डटकर खड़े हैं, बस यही बात जालंधर के कई कांग्रेसी नेता पचा नहीं पा रहे हैं। सुशील रिंकू के लिए उनकी टीम दिल्ली में पूरा जोर लगा रही है। रिंकू का नाम सर्वेक्षण में सबसे अधिक उपर आया है और कांग्रेस का एक वर्ग चाहता है कि अटवाल के मुकाबले रिंकू को उतारा जाए क्योंकि युवा वर्ग की लहर तेजी से चलेगी जो कांग्रेस का बेड़ा पूरे दोआबा में पार लगा सकती है। ऐसे में युवाओं को टिकट देने का कांग्रेस का फार्मूला भी फिट हो जायेगा।