सेंट्रल हल्के को अंधेरे में डुबोकर निकल गए हल्का इंचार्ज नितिन कोहली, आज लोग काली छोटी दीपावली मनाने को मजबूर 

 सेंट्रल हल्का विधायक ने बाला जी मंदिर में भजन गाकर लगाई हाजरी,फिर एक्टिव! बालाजी रखना सिर पर हाथ..!

रमन अरोड़ा के आने से हल्का इंचार्ज की मुश्किलें बढ़ी, विधायक बनने का सपना कहीं…!

दीपावली से एक दिन पहले अंधेरे में सेंट्रल हल्का, व्यापारी लोगों के दुख समझ नहीं आएंगे… यह सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के आदी!

कचहरी वाला चौक में ही नहीं शहर के कई इलाकों में अंधेरा, आप के नेताओं को कोस रहे लोग

जालंधर, रोजाना भास्कर (हरीश शर्मा): शहर की धड़कन है सेंट्रल हल्का, विकास के टेंडर और काम यहां स्थित निगम से होते हैं। राजस्व के लिहाज से रजिस्ट्रियां यहीं होती हैं क्योंकि रजिस्टार ऑफिस यही है।

डिविजनल कमिश्नर, डीसी, पुलिस कमिश्नर, एसएसपी के दफ्तर और घर भी सेंट्रल हल्के में आते हैं। शहर के कई पॉश इलाके इसी हल्के का हिस्सा हैं पर विकास में फिसड्डी हो गया है क्योंकि व्यापारी से नेता बने नितिन कोहली को राजनीतिक रोटियां सेकनी जरूर आ गई है लेकिन विकास कार्य इनके शब्दकोश में ही नहीं है।

सेंट्रल हलके के पूर्व विधायक और कांग्रेस के शहरी प्रधान राजिंदर बेरी ने आप सरकार और नेताओं को जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि शहर अंधेरे में डूबा हुआ है और लोग दिवाली लाइटों की रोशनी में नहीं बल्कि मोहब्बतें जलाकर मनाने को मजबूर हैं। नए हलका इंचार्ज को सिर्फ फोटो खिंचवाने का शौक है और लोग इन्हें चुनाव में सबक सिखाएंगे।

सेंट्रल हल्के के रहने वाले राजवीर सिंह, मनदीप सिंह, शारदा रानी, मलकीत सिंह, सुंदरलाल, मनप्रीत और सुरिंदर मोहन ने कहा कि ऐसा नेता हमारे ऊपर थोप दिया जिसे किसी की परवाह नहीं है। जहां व्यापारियों की बात आती है तो सब कुछ हो जाता है लेकिन आम जनता के लिए नितिन कोहली अजनबी है।

 वहीं विकास में राह देख रहे सेंट्रल हलके में आप इंचार्ज नितिन कोहली लोगों की उम्मीदों के साथ खेल रहे हैं तो बड़े लोगों के साथ बड़ा खेला करने वाले विधायक रमन अरोड़ा फिर से एक्टिव होते नजर आ रहे हैं।

बेल पर चल रहे विधायक अरोड़ा ने रविवार को बालाजी मंदिर में माथा टेककर दोबारा से पारी खेली शुरू कर दी है और सेंट्रल में लड़ाई नया रंग लाने वाली है।

बालाजी दरबार में माथा टेकने के बाद विधायक रमन अरोड़ा ने बालाजी रखना सिर पर हाथ… भजन गाया, जिसने राजनीतिक हलकों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जिस मकसद से व्यापारी राजनीति में कद गए क्या वह सपना पूरा हो पाएगा।