Uncategorized

आरबीआई : 17 महीने बाद रेपो रेट में 0.25% की कमी, हर तरह के लोन हो सकते हैं सस्ते

मुंबई. महंगाई का दबाव कम होने के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए रेपो दर और रिवर्स रेपो दर में कटौती करने का ऐलान कर दिया। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन से जारी बैठक के बाद RBI ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती और इतनी ही कटौती रिवर्स रेपो रेट में की है। इस कटौती से होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन की EMI घट जाएगी। 
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल की यह पहली समीक्षा बैठक थी। दास ने 12 दिसंबर को RBI की कमान संभाली है। माना जा रहा था कि महंगाई का दबाव कम होने के मद्देनजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ब्याज दरों में 0.25 फीसदी तक की कटौती करेगी और हुआ भी ऐसा ही। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के 3.8 फीसदी के अनुमान से कम रहकर 2.6 फीसदी रही थी।

रेपो रेट में कटौती का ईएमआई पर असर : आरबीआई रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की गई है, जिसे 6.50 से घटाकर 6.25 फीसदी किया गया है। इसके कम होने से होम, ऑटो और पर्सनल लोन की ईएमआई कम हो जाएगी।

जानिए क्या है रेपो रेट : जिस दर पर भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम होने से होम लोन, ऑटो लोन आदि सभी सस्ते हो जाते हैं।

जानिए क्या होता है रिवर्स रेपो रेट : जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है लेकिन अब इसमें भी 0.25 फीसदी तक की कटौती की गई है।

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के लगातार नीचे बने रहने के मद्देनजर बाजार में कर्ज सस्ता करने वाला यह कदम उठाया है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के बारे में अपना दृष्टिकोण भी नरम कर ‘तटस्थ‘ प्रकार का कर दिया है। अभी तक उसने मुद्रास्फीति के जोखिम के मद्देनजर इसे ‘नपी-तुली कठोरता’ वाला कर रखा था।

नए गवर्नर शक्तिकांत की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की हुई पहली बैठक में 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो में कमी किए जाने का समर्थन किया। हालांकि, रिजर्व बैंक के रुख को नरम करने के मामले में सभी सदस्य एक राय रहे।

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के बारे में अपने अनुमान को भी कम किया है। उसका मानना है कि मार्च 2019 की तिमाही में यह 2.8 प्रतिशत रहेगी। वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये भी मुद्रास्फीति अनुमान 3.2- 3.4 प्रतिशत रहने और तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *