चंडीगढ़. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर
सिंह ने केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर को पत्र लिख कर आलू
उत्पादन कलस्टर को प्रोत्साहन देने के लिए ऑपरेशन ग्रीन्स (टॉप) योजना में पंजाब
की अनदेखी करने पर ऐतराज जताया है व योजना में राज्य को भी शामिल करने के लिए कहा
है। यहां जारी पंजाब सरकार की एक विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा है कि
पंजाब में लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल आलू की काश्त अधीन है और सालाना 2.7 मिलियन
मीट्रिक टन उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि आलू की काश्त अधीन क्षेत्रफल पक्ष से
पंजाब देश में से सातवें स्थान पर और उत्पादन पक्ष से छठे स्थान पर आता है।
उन्होंने बताया कि पंजाब आलू के बीज उत्पादन का केंद्र है क्योंकि अक्तूबर से
दिसंबर के मध्य तेला मुक्त और कृषि-मौसम अनुकूल स्थिति होती है।
केंद्रीय मंत्री से योजना में पंजाब को शामिल करने के लिए फैसले
पर पुनर्विचार करने की मांग करते हुये कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि आलू के बीज
की अपनी मांग पूरी करने के अलावा पंजाब दूसरे राज्यों को भी इसकी सप्लाई करता है।
उन्होंने कहा कि यही नहीं, बल्कि राज्य की भौगोलिक स्थिति और मौसमी हालत के मद्देनजऱ यहाँ
आलू के बीज की पैदावार बढ़ाने का अथाह सामथ्र्य मौजूद है।
मुख्यमंत्री के अनुसार कि ढोगरी (जालंधर) में स्थित आलू के
प्रथम दर्जे के केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर पोटैटो) में टिशू कल्चर और
एयरोपोनिक टैकनॉलॉजी की स्थापना होने से अगले चार से पाँच सालों में आलू के बीज के
उत्पादन वाला समूचा क्षेत्रफल प्रामाणिक आलू बीज के तहत आ जायेगा। इसी तरह यहाँ की
मिट्टी गंभीर जरासीम और कीड़ों ख़ास तौर पर भूरा झुलस रोग और आलू बीज के कीड़े से
मुक्त होने के कारण पंजाब को पहले ही आलू उत्पादन के लिए ‘कीड़ा मुक्त जोन
Ó माना
जाता है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि कि इस तथ्य पर भी गौर किया जाये
कि राज्य में प्रोसेसिंग के उचित बुनियादी ढांचे की कमी होने के कारण उत्पादन सीजन
के दौरान मार्केट में अक्सर ही आलू का बड़ा भंडार जमा हो जाता है जिससे उत्पादकोंं
को अपनी उपज का भाव कम मिलता है। उन्होंने कहा कि टॉप स्कीम में पंजाब को शामिल
करने से प्रोसेसिंग सहूलियतों में निवेश बढऩे के साथ-साथ कीमतों के स्थिर हल के
द्वारा किसानों को उचित कीमतें देना यकीनी बनाया जा सकेगा।