नई दिल्ली. इंश्योरेंस इंडस्ट्री लाइफ कवर की लागत की समीक्षा के लिए मृत्यु दर के अत्याधुनिक आंकड़ों की ओर मुखातिब होने जा रही है। ऐसे में कामकाजी उम्र वाले भारतीयों को अगले वित्त वर्ष से इंश्योरेंस खरीदने पर कम खर्च करने पड़ सकते हैं। माना जा रहा है कि 1 अप्रैल से नए आंकड़े को आधार बनाया जाना शुरू हो जाएगा, तो 22 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों को सस्ते में टर्म प्लान मिल सकते हैं ।
इस बारे में जानकारी देते हुए एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के चीफ एक्चुअरी संजीव पुजारी ने कहा, ‘प्रीमियम कंपनी विशेष के अनुभव पर आधारित होता है और इमसें भी कटौती हो सकती है। मोर्टैलिटी टेबल (मृत्यु दर सारिणी) में इंडस्ट्री का अनुभव झलकता है। कुछ देशों में इसमें हर साल बदलाव होते हैं, लेकिन भारत में यह हर 5वें या छठे वर्ष में होता है।’
इंस्टिट्यूट ऑफ एक्चुअरीज ऑफ इंडिया की ओर से प्रकाशित संशोधित इंडियन अस्योर्ड लाइव्स मोर्टैलिटी टेबल 2012-14 से पता चलता है कि 22 से 50 वर्ष के अंदर इंश्योरेंस लेने वालों की मृत्यु दर 4 से 16 प्रतिशत कम है। इससे पहले लाइफ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स की प्राइसिंग तय करने के लिए 2006-08 का रेफरेंस फ्रेम इस्तेमाल किया जाता था। टेबल में यह बात भी सामने आई है कि इंश्योरेंस लेने वाली महिलाओं की मृत्यु दर घटी है। इसके मुताबिक, 14 से 44 वर्ष की उम्र वाली इंश्योर्ड महिलाओं की मृत्यु दर 4.5 से 17 प्रतिशत तक सुधार आया है। हालांकि, नए आंकड़ों पर आधारित कीमत निर्धारण की प्रक्रिया में बुजुर्गों के इंश्योरेंस कवर पर प्रीमियम बढ़ सकते हैं। टेबल से हताया गया है कि 82 से 105 वर्ष की उम्र वाले लोगों की मृत्यु दर 3 से 21 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।