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नानकशाही कैलेंडर पर फिर विवाद भारत मना रहा गुरु नानक देव जी की शादी की सालगिरह पाकिस्तान में आज डेथ एनिवर्सरी

रोज़ाना भास्कर जालंधर (ब्यूरो):- सिखों के नानकशाही कैलेंडर और उसमें संशोधित तारीखों को लेकर एक बार फिर से विवाद पैदा हो गया है। भारत में आज जहां 22 सितंबर को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की शादी की सालगिरह का जश्न मनाया जा रहा है। वहीं पाकिस्तान में आज के ही दिन बाबा नानक की पुण्य तिथि मनाई जा रही है। इस समय पैदा हुई यह स्थिति सिख समुदाय के भीतर आंतरिक कलह का परिणाम है।

बीती शाम बाबा नानक जी की बारात कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी के गुरुद्वारा बेर साहिब से निकली। बारात आज गुरुद्वारा कंध साहिब बटाला पहुंच चुकी है। 22 सितंबर शुक्रवार को बाबा नानक जी के बीबी सुलखनी के साथ विवाह को संपन्न कराने के लिए रस्में निभाई जाएंगी।

 

अजीब बात है कि इसी दिन बाबा नानक जी की मृत्यु की सालगिरह मनाने के लिए गुरुद्वारा करतापुर साहिब पाकिस्तान में अखंड पाठ का भोग डाला जाएगा। यह वही स्थान है, जहां बाबा नानक जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 साल गुजारे थे।

सिख समुदाय के नेता नहीं बना सके सहमति स्थिति सिख समुदाय के नेताओं के बीच असहमति के कारण उत्पन्न हुई है जो अब तक विभिन्न सिख धार्मिक आयोजनों की तारीखों पर आम सहमति तक पहुंचने में विफल रहे हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) द्वारा प्रकाशित नानक शाही कैलेंडर के अनुसार, बाबा नानक जी की मृत्यु तिथि 23 आसू (इस साल 9 अक्टूबर) और विवाह की सालगिरह 6 आसू (यानी इस साल 22 सितंबर) को है।

 

जबकि पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा प्रकाशित नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक बाबा नानक जी की मृत्यु तिथि 8 आसु (इस साल 22 सितंबर) और विवाह वर्षगांठ 15 बध्रो (यानी कि इस साल 30 अगस्त) को पड़ती है।

बुद्धिजीवियों ने इसे बताया खेदजनक इस स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिख बुद्धिजीवी चरणजीत सिंह ने चिंता व्यक्त की और कहा कि यह बेहद असामान्य और खेदजनक स्थिति है। यह नानकशाही कैलेंडर के संबंध में सिख समुदाय के भीतर आंतरिक कलह का प्रत्यक्ष परिणाम है।

उन्होंने बताया कि पाल सिंह पुरेवाल द्वारा लिखित मूल नानकशाही कैलेंडर को 2003 में अपनाया गया था, लेकिन तब से विभिन्न कारणों से SGPC द्वारा इसमें संशोधन किया गया है।

कई सिख नेता इन बदलावों को नहीं मानते बुद्धिजीवी चरणजीत ने कहा कि इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप सिखों के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं, कुछ मूल कैलेंडर का पालन करते हैं। जबकि अन्य नानकशाही कैलेंडर के संशोधित संस्करण के अनुसार धार्मिक आयोजन करते हैं।

उन्होंने सुझाव दिया कि, भविष्य में ऐसी स्थितियों को रोकने के लिए SGPC और श्री अकाल तख्त साहिब को अपने स्वयं के नानकशाही कैलेंडर के संबंध में सिखों के बीच आम सहमति बनाने के लिए बातचीत करनी चाहिए। सिखों के बीच नानकशाही कैलेंडर पर मौजूदा मतभेद युवाओं में केवल भ्रम पैदा कर रहा है और इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

सुलझाने के प्रयास जारी हैं, जल्द मिलेगी सफलता SGPC जनरल सेक्रेटरी गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बताया कि पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा कमेटी अलग है। वैसे तो उन्हें भी श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्म को मानना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे। तारीखों को लेकर जो मतभेद चल रहे हैं, उसके लिए दोनों कमेटियों के बीच बातचीत जारी है। अनुमान है कि जल्द ही इस पर आपसी सहमति बन भी जाएगी।

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