शॉपिंग के लिए विश्वसनीय वेबसाइट का ही करें इस्तेमाल
नई दिल्ली. आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज बढ़ गया है। खासकर युवा पीढ़ी में। लेकिन बात करें सुरक्षा मानकों की तो इसके लेकर सवाल उठते रहे हैं। हाल ही में ऐसी कई खबरें सुनने में आई हैं, जिनमें ऑनलाइन फ्रॉड जैसे फिशिंग, स्किमिंग का जिक्र किया गया था। साइबर क्रिमिनल्स हर दिन नई तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों की ठग रहे हैं।
बताया जा रहा है कि इस दिनों अपराधी एक नई तकनीक ‘फॉर्मजैकिंग’ के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले यूजर्स के साथ ठगी कर रहे हैं।
क्या है फॉर्मजैकिंग
दरअसल, फॉर्मजैकिंग की मदद से हैकर किसी वेबसाइट या उसके किसी खास पेज पर हैकिंग वाले कोड्स डाल देते हैं। इन कोड का ज्यादातार इस्तेमाल ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर किया जाता है। खास बात यह है कि इन कोड्स को वेबसाइट भी डिटेक्ट नहीं कर पाती है और जैसे ही यूजर्स खरीददारी के लिए उस साइट पर अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डीटेल एंटर करते हैं उसकी एक कॉपी कोड्स के जरिए हैकर्स तक पहुंच जाती है।
कार्ड की डिटेल मिल जाने पर हैकर्स उसका गलत इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। आपके कार्ड से ऑनलाइन शॉपिंग करने के अलावा वे आपके कार्ड की डीटेल को डार्क वेब पर भी बेच देते हैं। बताया गया है कि डार्क वेब पर एक कार्ड की डीटेल 45 डॉलर में बिकती है। गत दिनों जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि हैकर्स इस तरह की ठगी के जरिए अब तक 1 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा पैसे उड़ा चुके हैं।
हर महीने दुनियाभर की करीब 4800 वेबसाइट्स इनका बन रही शिकार
बता दें कि हाल ही के कुछ सालों में फॉर्मजैकिंग हमलों के मामले काफी बढ़ गए हैं और हर महीने दुनियाभर की करीब 4800 वेबसाइट्स इनका शिकार होती हैं। ब्रिटिश एयरवेज की साइट भी फॉर्मजैकिंग का शिकार हो गई थी और इसमें 3,80,000 ग्राहकों के कार्ड की डीटेल के साथ ही उनके ईमेल भी हैक कर लिए गए थे। कई कंपनियों ने अपनी साइट्स को फॉर्मजैकिंग अटैक्स से बचाने के लिए सिक्यॉरिटी को बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है। हालांकि इसके बावजूद भी फॉर्मजैकिंग अटैक्स ग्राहकों के लिए एक समस्या बना हुआ है। फॉर्मजैक्ड हुआ पेज बिलकुल वेबसाइट के ऑरिजनल पेज के जैसा दिखता है। ऐसे में इससे बचने के लिए हमेशा अच्छी और विश्वसनीय वेबसाइट से ही शॉपिंग करें। इसके अलावा अपने डिवाइस पर एक अच्छा ऐंटी वाइरस इंस्टॉल करके रखें, जो आपको तुरंत इसकी जानकारी देगा।