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दलितों की जमीन की खरीद-बिक्री, जानें अयोध्या लैंड केस का पूरा विवाद

रोज़ाना भास्कर ब्यूरो :अयोध्या में जमीन खरीद में हुई गड़बड़ी और हितों के टकराव का मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। अयोध्या में बरहटा मांझा गांव में जमीन खरीद मामले में आरोप है कि कई नेताओं, अधिकारियों और उनके रिश्तेदारों ने औने-पौने दामों पर जमीनें खरीदी हैं। कुछ खरीदार उन अधिकारियों से संबंधित हैं, जो मूल मालिकों से जमीन के हस्तांतरण में कथित अनियमितताओं के लिए विक्रेता की जांच कर रहे हैं, जो दलित हैं। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, आरोप है कि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने राम मंदिर से केवल पांच किलोमीटर की दूरी पर 21 बीघा यानी लगभग 52 हजार वर्ग मीटर जमीन नियमों का उल्लंघन कर दलितों से खरीदी।

अयोध्या में राम जन्मभूमि के आसपास की जमीन खरीदने के हाई प्रोफाइल मामले को लेकर अब जांच का दायरा और बढ़ गया है और अब राजस्व विभाग पूरा ब्योरा जुटा रहा है और इसी हफ्ते इसकी रिपोर्ट भी आ सकती है। राजस्व विभाग के विशेष सचिव ने अयोध्या से जमीन संबंधी सभी दस्तावेज मंगा लिए हैं और इसकी पड़ताल कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इसी सप्ताह जांच रिपोर्ट आएगी और फिर इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा जाएगा।

क्या है नियम
दरअसल, उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 98 (1) के तहत, जिसे उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता नियम, 2016 के प्रकाशन के साथ लागू किया गया था, अनुसूचित जाति से संबंधित किसी भी भूमिधर (भूमि मालिक) को लिखित रूप में कलेक्टर की पूर्व अनुमति के बिना किसी भूमि को किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को बिक्री, उपहार, गिरवी या हस्तांतरण का अधिकार नहीं होगा। हालांकि, जिला कलेक्टर पांच विशिष्ट शर्तों के तहत ऐसी अनुमति दे सकता है। अगर अनुसूचित जाति भूमिधर का कोई जीवित उत्तराधिकारी नहीं हो; अगर व्यक्ति किसी अन्य जिले या राज्य में बस गया है या सामान्य रूप से निवासी हो; अगर व्यक्ति या उसके परिवार का कोई सदस्य किसी घातक बीमारी से पीड़ित है; अगर व्यक्ति किसी अन्य भूमि को खरीदने के लिए स्थानांतरण की अनुमति मांग रहा है; और यदि आवेदन की तिथि को आवेदक द्वारा धारित भूमि ऐसे हस्तांतरण के बाद 1.26 हेक्टेयर से कम नहीं हो जाती है।
उस जमीन पर क्या हो रहा है
महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को दिसंबर 1991 में पंजीकृत किया गया था। इसका उद्देश्य था स्कूल, कॉलेज, विद्यापीठ, वैदिक स्कूल और अन्य संस्थान स्थापित करना, मगर उनतीस साल बाद आज भी इसके प्रोजेक्ट काफी हद तक अधूरे हैं। बताया जा रहा है कि इन जमीन पर जल्द ही एक यूनिवर्सिटी बनने वाली है।

अब क्या हुआ
उत्तर प्रदेश भू-राजस्व संहिता नियम, 2016 के प्रावधानों के अनुसार, अयोध्या के बरहटा मांझा गांव में एक दर्जन से अधिक दलितों से तत्कालीन एमआरवीटी कर्मचारी रोंघई के नाम पर खरीदी गई और बाद में ट्रस्ट को ‘दान’ की गई 21 बीघा जमीन राज्य सरकार के पास चली जाएगी। अगर किसी मूल दलित मालिक की ओर से कोई शिकायत मिलती है तो एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

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