भाजपा-आरएसएस की इनसाइड स्टोरीः आखिर क्यों लटक रही सांपला की टिकट पर तलवार…
जालंधर (हरीश शर्मा). केंद्रीय मंत्री विजय सांपला पहली बार सांसद बने और पहली बार में ही केंद्रीय राज्यमंत्री बन गए। एक दम से सियासत में उछाल के कारण वह जहां दिल्ली दरबार में अपनी पकड़ मजबूत करने में सफल हो गए वहीं पंजाब प्रधान की कुर्सी भी उनहोंने ले ली। लेकिन पंजाब में विधानसभा चुनावों के बाद से ही सांपला का कद घटने लगा। जहां पंजाब प्रधान की कुर्सी उनसे छीनी गई, वहीं अब उनको अपना कैंपेन रोककर दिल्ली अपनी टिकट के लिए दौड़ना पड़ा है। जहां पहले कहा जाता था कि सांपला की टिकट पक्की है, वहीं अब सांपला की टिकट पर तलवार लटक रही है। रोजाना भास्कर की टीम ने इस पर पूरा होमवर्क किया कि आखिरकार ऐसा क्या हुआ कि सांपला की दिल्ली दरबार में सियासत कमजोर हो गईय़
1. अमित शाह को आंख दिखाना, सोम प्रकाश की टिकट काटने की वकालत करना…
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सांपला जब होशियारपुर से सांसद बने तो उनकी कड़वाहट फगवाड़ा के विधायक सोमप्रकाश से थी। सांपला प्रधान बने तो वह सोमप्रकाश का विधानसभा टिकट कटवाकर अपने चहेते को दिलवाना चाहते थे। लेकिन भाजपा हाईकमान ने एक नहीं सुनी और टिकट सोमप्रकाश को दे दिया। सांपला ने दिल्ली में अमित शाह तक को आंखे दिखा दी कि अगर सोमप्रकाश को टिकट दिया तो वह पार्टी से इस्तीफा दे देंगे, इसकी खबरें भी तेजी से वायरल हो गयी। भाजपा एक अनूुशासन पार्टी है और उसके प्रधान अमित शाह को चुनौती देना सांपला के लिए नुकसानदेह हुआ और बाद में प्रधान की कुर्सी चली गई।
2. मिंटी कौर का प्रकरण
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मिंटी कौर एक ऐसी लड़की है जो अभी तक हकूमत से पूरी जंग लड़ रही है। उसने पुलिस महकमे को पूरे सबूत दिये कि उसका शारीरिक शोषण किया गया है और सांपला के भतीज आशू सांपला पर इसके संगीन आरोप लगे। जब यह मामला उछला तो सांपला पानी का एक मुद्दा लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने चले गए और उसी दौरान उनका हाथ अपनी पीठ पर रखवा लिया। नतीजन, जालंधर के पुलिस कमिशनर प्रवीण सिन्हा की इंसाफ की कलम टूट गयी। भाजपा हाईकमान तक यह बात जा पहुंची कि कांग्रेस का ऐहसान लेकर चलने वाले सांपला के सहारे पार्टी को पंजाब में नहीं रखा जा सका। मिंटी की पूरी कहानी दिल्ली में पीएम मोदी से लेकर अमित शाह के टेबल पर पड़ी हुयी है। भाजपा जोकि आम आदमी पार्टी पर उंगुली उठाती थी कि पार्टी की टिकट को लेकर महिलाओं का शोषण किया गया, मिंटी प्रकरण के बाद खुद ही पार्टी कटघरे में आ गयी। मिंटी तो अब भी पूरा बोरिया बिस्तर तैयार करके बैठी है कि अगर सांपला को टिकट मिलती है तो वह होशियारपुर में ही रहेगी और पूरा बाजा बजाकर बताएगी कि कैसे एक लड़की का यौन शोषण किया गया।
3. इर्द गिर्द विवादित युवाओं की टोली रखना
सांपला के इर्द गिर्द जितने भी युवा रहे, तमाम लोगों के दामन पर दाग रहा। एक पर खुदकुशी का केस दर्ज हुआ, सांपला ने खुलकर मदद की। राबिन सांपला पर विवाद हुआ, सांपला ने उलटा उसको गनर दिला दिये। भतीजे पर मिंटी का पर विवाद उठा तो उसको अपने साथ ही रखा। दो युवा बंधुओँ पर केस दर्ज हुए, सांपला ने उनको आपने साथ रखा। उलटा डटकर मदद की। चर्चा में रहे एक युवा नेता तो सांपला के हैंडलर रहे। दिल्ली में सेवन स्टार होटलों में तस्वीरे अपलोड होती रही। इस तरह से सांपला अपनी एक अच्छी व सीनियर सिटीजन में छवि को बनाकर नहीं रख पाये।
4. होशियारपुर में कोठी का विवाद
होशियारपुर में कोठी के विवाद की पूरी रिपोर्ट भाजपा हाईकमान तक पहुंची है। वहां पर किस तरह से पुलिस पर प्रेशर किया गया और किस तरह से केस दर्ज करवाया गया, इसको लेकर भाजपा हाईकमान ने काफी सीरियस लिया है।
5. मिशन मोदी कैंपेन को पूरी हवा देना
सांपला की टीम ने सांपला के पदमुक्त होने के बाद पंजाब में अपनी समांतर लाबी तैयार की ताकि श्वेत मलिक व राकेश राठौर को कमजोर किया जा सके। मिशन मोदी अगेन शुरू की गयी, जिसमें तमाम उन भाजपा नेताओं को लिया गया, जो मलिक व राठौर के खिलाफ थे। पार्टी से किसी कार्यक्रम की परमिशन नहीं ली गयी और समांतर बैठक का आयोजन किया गया इतना नहीं गुरदासपुर अमृतसर में समांतर टीम खड़ी की गयी ताकि मलिक को डिस्टर्ब किया जाये। यह सारी बात हाईकमान तक पहुुंची कि पंजाब में संगठन को बांटा जा रहा है और अधिकतर ऐसेे नेता हैं जो सांपला के कट्टर समर्थक हैं।