श्रीनगर/हिप्र. किन्नौर में हिमखंड में दबे पांच जवानों के परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। किसी को नहीं सूझ रहा कि जिस दुल्हन के हाथों से अभी मेहंदी भी नहीं उतरी उसे कैसे कहें कि पति शहीद होकर रविवार को तिरंगे में लिपटकर घर वापस आ रहा है। नालागढ़ के जोंघों जगतपुर के राजेश ऋषि बीते 12 दिसंबर को ही परिणय सूत्र में बंधे थे। 28 जनवरी को राजेश अपनी ड्यूटी पर लौटे थे। ड्यूटी पर जाते समय राकेश ने अपनी मां से बस इतना ही कहा कि उसका जाने का मन नहीं है। कुछ अच्छा नहीं लग रहा, लेकिन देश सेवा सबसे पहले है। मां ने भी अपने लाल से कहा कि यदि उसका जाने का मन नहीं है तो वह रुक जाए। लेकिन राजेश को सरहद बुला रही थी, जहां उसे देश सेवा करके शहादत पानी थी। राजेश के रिश्तेदारों ने पत्नी, माता-पिता, भाई-भाभी को अभी शहादत की खबर नहीं दी है।
रिश्तेदारों का कहना है कि राजेश सभी की मदद के लिए हमेशा आगे रहता था। वह किसी को कोई दुख नहीं पहुंचाता था और हर काम को पूरी तन्मयता के साथ जल्द से जल्द निपटाना चाहता था। सेना में जाने से पहले भी वह लोगों की मदद के लिए पूरी तरह से प्रयासरत रहता था। राजेश के रिश्तेदारों में इस बात का आक्रोश है कि देश के एक सैनिक अभिनंदन को पाकिस्तान से छुड़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया गया और 60 घंटे के भीतर वापस देश में लाने सहित समूचा देश उसके साथ खड़ा था।लेकिन राजेश भी तो देश की सरहद पर रक्षा करने गया था। फिर उसे ढूंढने में 11 दिनों का समय क्यों लग गया। इस बात से आक्रोशित सैनिक के रिश्तेदारों व परिवार के अन्य सदस्यों ने शनिवार को मिनी सचिवालय परिसर नालागढ़ में धरना प्रदर्शन रखा था लेकिन शहादत की सूचना के बाद इसे टाल दिया गया।