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चौधरी संतोख ने रखा चरणजीत सिंह अटवाल की नब्ज पर हाथ चौधरी ने अटवाल को किया कटघरे में खड़ा जालंधर ही नहीं पंजाब में गर्मा सकता है चौधरी का उठाया मुद्दा


जालंधर। जालंधर से कांग्रेसी प्रत्याशी चौधरी संतोख सिंह ने शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार चरणजीत सिंह अटवाल की नब्ज पर हाथ रख दिया है। चौधरी संतोख सिंह ने शुक्रवार को शाहकोट में कहा कि अकाली दल की सरकार सिखों पर हमले करती आई है। चाहे बरगाड़ी का मामला हो या फिर नकोदर का।
नकोदर में 1986 में चार सिख नौजवानों का कत्ल पुलिस की गोलियों से हुआ था और उस समय अकाली दल की सरकार थी। 2001 में जस्टिस गुरनाम सिंह की रिपोर्ट जब पंजाब विधानसभा में पेश हुई तो उस समय स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल थे और अटवाल ने बिना एक्शन टेकन रिपोर्ट के आयोग की रिपोर्ट को सदन में ले लिया। यही वजह रही कि 33 साल बाद भी नकोदर गोलीकांड में शहीद हुए चार सिख नौजवानों को इंसाफ नहीं मिल पाया है।
पिछले दिनों अटवाल ने जालंधर में पत्रकार वार्ता के दौरान इस पर बुरी तरह से बैकफुट पर चले गए थे। अटवाल से एक वरिष्ठ पत्रकार ने सवाल पूछा था कि उनके रहते चार बार अकाली दल की सरकार आई और नकोदर में चार सिख नौजवानों पर पुलिसिया कहर में कोई एक्शन नहीं हुआ है। 2001 में जस्टिस गुरनाम सिंह की रिपोर्ट भी सदन में पेश हो गयी और वह भी बिना एक्शन टेकन रिपोर्ट के। इस पर अटवाल ने कहा था कि बिना एक्शन टेकन रिपोर्ट के आयोग की रिपोर्ट सदन में नहीं आ सकती है। लेकिन अटवाल यह भूल गए कि 2001 में वह खुद पंजाब विधानसभा के स्पीकर थे, जब जस्टिस गुरनाम सिंह की रिपोर्ट सदन में आई थी और वह भी बिना एक्शन टेकन रिपोर्ट के। उस समय के एसएसपी इजहार आलम को अकाली ने खूब प्यार व दुलार दिया, उनकी पत्नी को अकाली दल की टिकट दी गयी और आलम को वक्फ बोर्ड का चेयरमैन लगाया गया। वहीं उस समय के डीसी दरबारा सिंह गुरू को अकाली ने फतेहगढ़ साहब से मैदान में उतारा है और दोनों नेताओं पर आरोप हैं कि वह 1986 के कत्लेआम के जिम्मेदार हैं। आप प्रधान भगवंत मान ने तो अटवाल को पूरी तरह से लपेटा और कहा कि वह पूरी तरह से जिम्मेदार है, जो आज तक इंसाफ नहीं मिला। वहीं शुक्रवार को शाहकोट में चौधरी ने भी अटवाल की नब्ज पर हाथ रख दिया है।

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