लोकसभा चुनाव में सुखबीर बादल की मुहिम को ‘सट्ट’ मारेगा यूथ अकाली दल का फोटो सेशन… चुनाव मुहिम में गायब लेकिन फोटो सेशन में आगे यूथ अकाली दल के नुमाइंदे
जालंधर, रोजाना भास्कर (हरीश शर्मा). लोकसभा चुनाव में अकाली दल अपने दम पर आगे तो बढ़ रहा है लेकिन यूथ अकाली दल सिर्फ फोटो सेशन तक ही सीमित होकर रह गया है। फोटो सेशन करवाने वालों में प्रधानगी हासिल करने वाला एक पूर्व ओहदेदार सबसे आगे है। चाहे वाक्या मंगलवार को चंदन ग्रेवाल को पार्टी ज्वाइन करवाने का रहा हो तो चाहे करीब महीने पहले की गई सरबजीत सिंह मक्कड़ की कैंट हलके में वर्कर रैली। तब भी इस पूर्व ओहदेदार ने मक्कड़ को पीछे करके खुद की फोटो ही अखबारों में भेज दी थीं और आज भी खुद ही मीडिया से मुखाबित होते रहे कि छोटे बादल चंदन ग्रेवाल के घर आ रहे हैं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में जालंधर के लिए अकाली प्रत्याशी चरनजीत सिंह अटवाल की फंडिंग मैनेजमेंट भी वे ही कर हैं।
प्रधान बनने की लग रही जुगत
बड़े या छोटे बादल के आने पर ही एक्टिव होने वाले इस पूर्व नेता के चेहरे पर जैसे चमक ही आ जाती है लेकिन धूप में घूम-फिरकर पार्टी के लिए काम करने वाले चुनाव के इस मौसम में वे कहां रहते हैं, इसका पार्टी भी ध्यान नहीं रख रही। एक मुस्लिम दोस्त और उसके साथियों से नारेबाजी करवाकर खुद की हाजिरी ये जनाब सुखबीर के दरबार में लगवा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के पास यूथ अकाली दल के दोआबा प्रधान सरबजोत सिंह साबी ने इन जनाब को यूथ अकाली का सालिड ओहदा दे दिया लेकिन बदले में पार्टी क्या मिला? विधानसभा चुनाव में हार का बड़ा कारण भी यही रहा कि यूथ अकाली दल अपने आकाओँ के साथ खड़ा नहीं हुआ। अब इस पूर्व नेता की कोशिश है कि किसी तरह दोबारा जिले का वही पुराना ओहदा उन्हें मिल जाए।
पार्टी के सीनियर नेताओं से भी रहा 36 का आंकड़ा
जिला प्रधान बनने के चाहवान इन जनाब का पहले भी पार्टी के सीनियर नेताओँ के साथ 36 का आंकड़ा रहा है। करीब 3 साल पहले घास मंडी चौक में अकाली दल के सीनियर नेता के साथ इनका झगड़ा हो गया तो उन्होंने इनके कपड़े तक फाड़ दिए थे। उस सीनियर नेता के खिलाफ पार्टी से कार्रवाई करवाने के लिए आत्मदाह करने की धमकी देने वाले ये जनाब बाद में अपनी चेतावनी से ही मुकर गए। दरअसल अपने जिस आका के पास जा-जाकर इन्होंने पिछली बार जिले का बड़ा ओहदा ले लिया था, उनके पास अब और भी कई यूथ अकाली वर्कर हाजिरी भर रहे हैं। ऐसे में इन्हें जिला प्रधानगी जैसा बड़ा ओहदा मिलना मुश्किल लग रहा है क्योंकि पिछले 3 साल में इन्होंने जिला प्रधानगी लेकर भी कुछ नहीं किया।