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जालंधर में आज आईएमए डॉक्टरों की हड़ताल डेंटिस्ट और आयुर्वेदिक डॉक्टरों ने भी समर्थन किया हड़ताल का।सभी डॉक्टर कल सुबह 6 बजे तक नहीं देखेंगे मरीज।एमरजेंसी सेवाएं रहेगी जारी।

जालंधर रोजाना भास्कर.(हरीश शर्मा)इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आज सुबह 6 बजे से हड़ताल शुरू कर दी है।आईएमए जालंधर के प्रधान ने बताया कि सभी डॉक्टर अपने क्लीनिक हॉस्पिटलों में ओपीडी बंद रखेंगे और सुबह 12 बजे देश भगत यादगार हाल में इकट्ठे हुए सभी डॉक्टरों ने रैली के रूप में रोष मार्च निकाला जो देश भगत यादगार हाल से Bmc चौक पर पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर कहा जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती हम इसी तरह हड़ताल को जारी रखेंगे आईएमए के प्रधान ने बताया कि एमरजेंसी सेवाएं चालू रहेगी। सिर्फ ओपीडी और सामान्य सेहत सेवाओं को बंद रखा गया है।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा बंगाल में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के बाद आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होने से नाराज डॉक्टरों ने यह कदम उठाया है। एलोपैथी डॉक्टरों की संस्था आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने इस बंद का ऐलान किया है। आईएमए का साथ देने के लिए इंडियन डेंटल एसोसिएशन और नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन ने भी बंद का समर्थन किया है। यानी पूरी तरह से बंद। पिछले दिनों बंगाल के एनआरएस मेडिकल कालेज के डॉ. परीबाहा मुखोपाध्याय (इंटर्न) के सिर पर मरीज के परिवार वालों ने ईंट से जानलेवा हमला कर दिया था। खोपड़ी पर बड़ा सा फ्रैक्चर आ गया था और डॉ. मुखोपाध्याय कई दिन आईसीयू में जिंदगी और मौत से जूझते रहे। हालांकि अब वे खतरे से बाहर हैं। डॉ. मुखोपाध्याय के अलावा भी कई डॉक्टर गुस्साई भीड़ के शिकार हुए थे। अब कुछ जानकार बता रहे हैं कि भीड़ में ज्यादातर लोग रोहिंगिया मुसलमान थे। जबकि बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी रोहिंग्या मुसलमानों की पक्षधर रही है। डॉक्टरों की मांग थी कि जिन 200 लोगों की भीड़ ने डॉक्टरों पर हमला किया उनके खिलाफ भी केस दर्ज होना चाहिए। जबकि ममता बनर्जी मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिशों में लगी है। अब तक सिर्फ 6 डॉक्टरों पर ही केस दर्ज हुए हैं। डॉक्टर अपनी मांग पर अड़े हैं और उन्होंने काम बंद कर दिया है। 300 से ज्यादा डॉक्टर अपने इस्तिफे सौंप चुके हैं। रविवार को ममता बनर्जी ने डॉक्टरों को संदेश भेजा था कि वह उनकी मांगे मानने को तैयार है। ममता ने डॉक्टरों को बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन अभी तक डॉक्टर पहले कार्रवाई करने पर ही अड़े हैं। पंजाब के सरकारी अस्पतालों में कबीर जयंती की छुट्टी भी है ऐसे में जो मरीज सरकारी अस्पताल में दवा नहीं ले पाएंगे उन्हें प्राइवेट अस्पतालों से भी निराशा हाथ लगेगी। हालांकि डॉक्टरों ने बार बार कहा है कि एमरजेंसी में मरीजों का वह इलाज करेंगे। अगर किसी मरीज की तबीयत खराब हो जाती है तो वह नजदीकी अस्पताल पहुंच सकता है।

सोमवार को सरकारी छुट्टी होने के कारण सिविल अस्पताल भी बंद रहा।

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